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Bhige Adhar...
30 de Apr de 2014
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भोर के भीगे अधरों पर. चीज़ें वही रहती हैं. अभ्यस्त मन और आंखों से परे का आयाम, मन की सहजता के क्षणों में जब दिख जाता है तो वही कविता हो जाता है. शायरी के लिए जलाल, जमाल और कमाल की बात कही जाती रही है, देखी, सुनी और महसूस की जाती रही है. यह जलाल, जमाल और कमाल मन की सहजता की त्रिगुणात्मक अवस्था का ही परिलक्षण है.

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Desarrollador:
BNM COMBINES
Categoria:
Entretenimiento
Tamaño:
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Actualizado:
30 de Apr de 2014
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