Hindi Kavita

Hindi Kavita

Bhige Adhar...
Paquete:
com.BNMCombines.VPSinghKavita
Descargas:
Tamaño:
1.2 MB
Requiere android:
2.1 y versiones superiores
Actualizado:
30 de Apr de 2014
33
Ultima versión:
1.0
Descarga

भोर के भीगे अधरों पर. चीज़ें वही रहती हैं. अभ्यस्त मन और आंखों से परे का आयाम, मन की सहजता के क्षणों में जब दिख जाता है तो वही कविता हो जाता है. शायरी के लिए जलाल, जमाल और कमाल की बात कही जाती रही है, देखी, सुनी और महसूस की जाती रही है. यह जलाल, जमाल और कमाल मन की सहजता की त्रिगुणात्मक अवस्था का ही परिलक्षण है.

Comentarios